Tuesday, May 14, 2019

मीना ने कहा था, मिल रही हैं धमकियां

मीना मंगल ने कुछ वक्त पहले ही फेसबुक पर एक पोस्ट किया था कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उनकी जान को खतरा है. एक प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता ने ट्वीट कर ये बताया है.
मीना मंगल की मौत ने काबुल को हिलाकर रख दिया है.
कुछ लोगों का कहना है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ सबसे हाइ-प्रोफाइल अपराध राजधानी काबुल के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों और सबसे सुरक्षा वाले इलाकों में होते हैं.
एक महिला अधिकार कार्यकर्ता वज़मा ने लिखा, "एक महिला को दिन दहाड़े मार दिया जाता है, क्योंकि एक मर्द को लगता है कि उसे मर जाना चाहिए."
जहां मीना की हत्या हुई, वो एक भीड़भाड़ वाला इलाका था और घटनास्थल के नज़दीक ही पुलिस भी तैनात थी. फिर भी लगता है कि हमलावर घटनास्थल से बहुत आसानी से निकल गए.
कई कामकाजी महिलाओं ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाने की मांग की है.
टीवी प्रेज़ेंटर के तौर पर मीना मंगल कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होस्ट करती थीं. इसके अलावा उनका एक प्रोग्राम महिलाओं की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ था.
फेसबुक की अपनी आखिरी पोस्ट में मीना ने उन लोगों के खिलाफ नाराज़गी ज़ाहिर की थी, जो "महिलाओं को दबाते हैं और उन्हें मारने की धमकी देते हैं."
अफ़ग़ान अटॉर्नी जनरल के ऑफिस के एक प्रवक्ता जमशीद रसूली ने बीबीसी को बताया कि मीना दो साल पहले अपने पति से अलग हो गई थीं. उनके परिवार ने घरेलू हिंसा की शिकायत भी दर्ज कराई थी.
उन्होंने कहा कि मामले को पारिवारिक हिंसा से जुड़ी अदालत में रेफ़र कर दिया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था.
पुलिस मामले की जांच कर रही है. फिलहाल पुलिस ने किसी संदिग्ध को नहीं पकड़ा है.
मीना मंगल के पिता ने बीबीसी से कहा, "एक पारिवारिक विवाद की वजह से मैंने एक होशियार बेटी को खो दिया. मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि वो मेरी कामकाजी बेटी को क्यों नहीं बचा पाए. मेरी उनसे अपील है कि वो मेरी बाकी बेटियों और दूसरी महिलाओं की रक्षा करें, जो अपने घर से निकलती हैं और समाज के लिए काम करती हैं."
इस हत्या ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
पांच बच्चों की मां ब्रेसना ने कहा कि वो "काबुल में पढ़ने और काम करने वाली अपनी बेटियों के लिए बहुत डरती हैं."
न्होंने कहा, "रोज़ अपने घर से निकलने वाली कामकाजी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं."
ये हत्या ऐसे वक्त में हुई है जब अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं को डर है कि तालिबान चरमपंथियों से किसी भी तरह का शांति समझौता मुश्किल से हासिल हुए उनके अधिकारों और आज़ादी को खतरे में डाल सकता है.
तालिबान चरमपंथी शांति समझौते के लिए अमरीका से बातचीत कर रहे हैं.
अधिकार समूहों ने लिंग-आधारित हिंसा के मामलों की फेहरिस्त तैयार की है. इनमें से कई मामले तालिबान के प्रभाव वाले इलाकों के हैं.
अंतरराष्ट्रीय एनजीओ रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर ने अफगानिस्तान को 2018 में पत्रकारों के लिए सबसे ख़तरनाक देश के तौर पर सूचीबद्ध किया है.
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