Tuesday, June 25, 2019

उनका सवाल है कि क्या वे उक्त रकम वापस करेंगे?

इससे पहले पूर्व बर्दवान जिले में एक अन्य तृणमूल कांग्रेस नेता उज्ज्वल मंडल ने भी माना था कि उन्होंने सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से पार्टी की कल्याणमूलक गतिविधियों के लिए आठ से दस हज़ार रुपए लिए थे. गाँव वालों के दबाव के बाद उन्होंने यह रक़म लौटाने का लिखित भरोसा दिया है. उसी जिले में पंचायत के तीन सदस्यों अपूर्व घोष, कालीमय गांगुली और रघुनाथ मंडल ने भी स्थानीय लोगों के दबाव में कटमनी वापस करने का लिखित भरोसा दिया है.
विपक्ष इस मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है. मंगलवार को लगातार दूसरे दिन इस मुद्दे पर विधानसभा में जम कर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में तू-तड़ाक हुई. विपक्ष इस मुद्दे पर श्वेतपत्र जारी करने और पूरे मामले की जांच कराने की मांग कर रहा है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता अब्दुल मन्नान ने कटमीन मामले की जांच के लिए एक आयोग के गठन की मांग उठाई. उनका कहना था, "कटमनी मामले से अनगिनत लोग जुड़े हैं. इसकी वजह से क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है. सरकार को तुरंत एक आयोग का गठन कर इस मामले की जांच करानी चाहिए."
दूसरी ओर, कटमनी विवाद धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैलने लगा है. मंगलवार को कूचबिहार जिले के तूफ़ानगंज और हुगली ज़िले के चुंचुड़ा में इस मुद्दे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जम कर हंगामा किया. तूफ़ानगंज में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कटमनी लौटाने की मांग में एक नंबर ब्लॉक के नाककाटीगाछ ग्राम पंचायत के अध्यक्ष सचिन बर्मन का घेराव किया और नारे लगाए.
उन्होंने बर्मन को स्थानीय बाज़ार में ही घेर लिया. एक स्थानीय व्यक्ति आर. बर्मन ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने कई लोगों से समय-समय पर बहाने बना कर कटमनी ली है. इस मुद्दे हुगली जिले के चुंचुड़ा में भी बवाल हुआ.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने वहां तीन नंबर वॉर्ड के पार्षद सुनील मालाकार के घर से सामने प्रदर्शन किया. उन्होंने पार्षद पर कटमनी लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर कई लोगों से कटमनी तो ली है. लेकिन कोई काम नहीं कराया है.
आरोप है कि निचले स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से ली जाने वाली यह रकम ऊपर तक पहुंचती है.
अब इस मुद्दे को लपकते हुए विपक्षी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी तक को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
विपक्षी सदस्य विधानसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा करते हुए वॉकआउट कर चुके हैं.
इस मुद्दे पर विवाद तेज़ होते देख कर टीएमसी को सफ़ाई तक देनी पड़ी है.
ममता ने तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों के साथ हाल में एक बैठक में कहा था कि वे चोरों को पार्टी में नहीं रखना चाहतीं.
उनका कहना था, "कुछ नेता ग़रीबों को मकान के लिए मिलने वाली अनुदान की रकम में से 25 फीसदी कमीशन मांग रहे हैं. यह तुरंत बंद होना चाहिए."
ममता ने कहा था कि अगर किसी ने ऐसा कमीशन लिया है तो वह इसे फौरन वापस लौटा दे. अब कटमनी लेने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. ममता की इस टिप्पणी के बाद ही विवाद पैदा हो गया.
उसके बाद राज्य के विभिन्न इलाकों में तृणमूल नेताओं, पार्षदों और पंचायत प्रतिनिधयों को आम लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. कई जगह तो उनके साथ मार-पीट की घटनाएं भी हुई हैं.
पार्टी के कई नेताओं और पार्षदों को भी ममता की यह टिप्पणी नागवार गुजरी है. दूसरी ओर, विपक्ष ने इस मुद्दे को लपक लिया है.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "अब तृणमूल कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार से पर्दा हट गया है. यह खुला रहस्य है कि तृणमूल के नेता कटमनी और कमीशन लेते हैं. अब आम लोग इसके विरोध में सामने आ रहे हैं."
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का आरोप है कि निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की ओर से ली गई कटमनी सीधे अभिषेक बनर्जी तक पहुंचती है.

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